December 8, 2025

यूसीसी उत्तराखंड में लागू, विवाह, तलाक़ और लिव-इन रिलेशनशिप में होंगे ये बदलाव

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UCC implemented in Uttarakhand, these changes will happen in marriage, divorce and live-in relationships

यूसीसी उत्तराखंड में लागू, विवाह, तलाक़ और लिव-इन रिलेशनशिप में होंगे ये बदलाव

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड UCC लागू

27 जनवरी, 2025 से उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बना जहाँ समान नागरिक संहिता लागू हो गई है, हालांकि उत्तराखंड की बीजेपी सरकार के फ़ैसले की विपक्षी पार्टियां और कुछ धार्मिक समूहों ने विरोध भी किया है, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यूसीसी लागू करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इनमें अधिकारियों की ट्रेनिंग की तैयारी भी शामिल है

बीजेपी 2022 में लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटी थी. इससे पहले साल 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद से कोई भी पार्टी लगातार दो चुनाव नहीं जीत पाई थी, मुख्यमंत्री धामी ने इस जीत के लिए यूसीसी को भी श्रेय दिया था.

अनुसूचित जनजाति और किसी प्राधिकरण के ज़रिए संरक्षित व्यक्ति और समुदायों को छोड़कर यूसीसी उत्तराखंड के सभी निवासियों पर लागू होगा, उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता क़ानून में विवाह और तलाक़, उत्तराधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप और इनसे जुड़े मुद्दे शामिल होंगे. साथ ही ये महिलाओं और पुरुषों के लिए शादी की एक उम्र तय करता है. साथ ही सभी धर्मों में तलाक़ और दूसरी प्रकियाओं के लिए एक आधार तय करता है. ये क़ानून बहुविवाह पर भी प्रतिबंध लगाता है.

इस क़ानून के तहत सिर्फ़ उन दो पक्षों के बीच विवाह हो सकता है, जिसका कोई जीवित जीवनसाथी न हो, दोनों क़ानूनी अनुमति देने के लिए मानसिक रूप से सक्षम हों, पुरुष की आयु कम से कम 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होना ज़रूरी है. विवाह धार्मिक रीति-रिवाज या क़ानूनी प्रावधान के अनुसार हो सकता है. साथ ही इस क़ानून के लागू होने के बाद 60 दिनों के अंदर शादी को रजिस्टर कराना अनिवार्य होगा.

यूसीसी के तहत सभी शादियों और लिव-इन रिलेशनशिप्स का रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है. ऐसे केंद्र बनाए गए हैं, जहाँ पर लोग अपने विवाह को ऑनलाइन रजिस्टर करने के लिए मदद ले सकते हैं ताकि सरकारी दफ़्तरों की भागदौड़ न हो.

एक सरकारी बयान के मुताबिक़, 26 मार्च 2010 से पहले जो भी विवाह राज्य में या राज्य से बाहर हुआ है उसमें दोनों पक्ष साथ रहे हैं और क़ानूनी पात्रता रखते हैं वो क़ानून लागू होने के छह महीनों के अंदर विवाह का रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.

कोई भी सैनिक या वायु सेना, नौसेना का जवान जो किसी अभियान, वास्तविक युद्ध में शामिल हो, विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत बना सकता है, जिसके लिए नियमों को लचीला रखा गया है, उत्तराखंड समान नागरिक संहिता अधिनियम, 2024 को उत्तराखंड सरकार लागू करेगी, जो वसीयत उत्तराधिकार के तहत वसीयत को बनाने और रद्द करने के लिए एक सुव्यवस्थित ढांचा स्थापित करेगा.

इस क़ानून के मुताबिक़, अगर पति-पत्नी के बीच कोई भी मनमुटाव होता है तो उसके लिए वो कोर्ट का रुख़ कर सकते हैं, जिसका समाधान क़ानून के आधार पर होगा, इसके अलावा आपसी सहमति से तलाक़ के मामले में भी कोर्ट का रुख़ करना होगा. इस क़ानून के तहत तलाक़ के लिए भी कई आधार दिए गए हैं,

यूसीसी के साथ-साथ ऐसा पहली बार हो रहा है, जब लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी क़ानून बनाए जाने की तैयारी हो रही है. उत्तराखंड के यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले या इसकी तैयारी करने वालों के लिए भी प्रावधान किया गया है. जो लिव-इन रिलेशनशिप में हैं, उन्हें इसके बारे में ज़िले के रजिस्ट्रार के सामने घोषणा करनी होगी, इसके साथ ही उत्तराखंड का जो निवासी राज्य के बाहर रहता है, वो अपने ज़िले में लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में बता सकता है.

लिव-इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चों को भी वैध बच्चा घोषित किया गया है, इसके अलावा उन लोगों का लिव-इन रिलेशनशिप वैध नहीं हो सकता जो अवयस्क हैं, पहले से शादीशुदा हैं या बलपूर्वक या धोखे से ऐसा कर रहे हैं.

21 साल से कम उम्र के लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले युवक-युवती के परिजनों को इसके बारे में पहले से इसको लेकर सूचित करना ज़रूरी होगा, जो भी युवक-युवती एक महीने से अधिक समय से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हों और उन्होंने इसके बारे में सूचित नहीं किया है तो उनको तीन महीने तक की सज़ा या उन पर 10 हज़ार रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है.लिव-इन रिलेशनशिप को ख़त्म करने की स्थिति में भी इसके बारे में घोषणा करनी होगी।

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